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अब जिसमें हसीन मेरा बचपन था| न रूठने की चिंता थी न

अब
जिसमें हसीन मेरा बचपन था|
न रूठने की चिंता थी न मनाने का डर था||
लफ्ज़ नहीं चुनने थे तब एहसास बयां करने को|
कइ दोस्त हुआ करते थे तब बातें करने को||
 किस्से थे परियों के, दादी कहानी सुनाती थी|
कब सुबह होती, कब रात गुजर जाती थी|| वो ज़िन्दगी कहाँ है...
#वोज़िन्दगी #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
#zindagi
अब
जिसमें हसीन मेरा बचपन था|
न रूठने की चिंता थी न मनाने का डर था||
लफ्ज़ नहीं चुनने थे तब एहसास बयां करने को|
कइ दोस्त हुआ करते थे तब बातें करने को||
 किस्से थे परियों के, दादी कहानी सुनाती थी|
कब सुबह होती, कब रात गुजर जाती थी|| वो ज़िन्दगी कहाँ है...
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