हाँ मेरा आज मासिक धर्म है ये बतलानेमे काहेकी शर्म है ॥ १॥ क्योंकी रजो धर्म हर जननिके स्त्रीत्वकी निशानी है मानव-वंशकी साक्षात मानो कहानी है ॥२॥ हर माह,आजीवन इस दर्द को सहती है लेकीन शिकायतका एक शब्द भी ना कहती है ॥३॥ बाट नही सकते पर कोशिश करे उसकी पीडा़को समझनेकी, "उन दिनोमे" घरमे स्वच्छ,स्वस्थ और खुशहाल माहोल रचनेकी ॥ ४॥ तो आओ इस "माहवारी स्वच्छता दिवस " पर इक नई सोचका स्विकार करे, Periods मे भी नारीका वही सत्कार करे, Periods मे भी, नारीका वही सत्कार करे ॥ ५ ॥ ( 28 मई ) रचना ✒️🤓 विजय ज्ञानदेव पटावकर ( ज्ञानतनय ) ©Vijay Patavkar "माहवारी स्वच्छता दिवस " #sunkissed