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ज़माने भर, को लिख लिख कर हम अपनी कलम का दीवाना कर ग

ज़माने भर, को लिख लिख कर
हम अपनी कलम का दीवाना कर गए,
जब वक़्त आया नज्में महबूब को सदा करें
तब ज़माने को देख कर चुप रह गए। #Hope इजहार की मुश्किलें
ज़माने भर, को लिख लिख कर
हम अपनी कलम का दीवाना कर गए,
जब वक़्त आया नज्में महबूब को सदा करें
तब ज़माने को देख कर चुप रह गए। #Hope इजहार की मुश्किलें