तरस ना खा मुझपे, अब सहारा नहीं चाहिए जमाने ने सिखा दिया है ,जीने का हुनर हमें रोने के लिए अब किसी के कंधों का सहारा नहीं चाहिए मंजिलें सफर के यूं ही गुजर जाएंगे गालिब जिंदगी इतना सिखाया है कह दो अब रास्तों से ठोकरो का सहारा नहीं चाहिए ✍️ विवेक कुमार (भूमि) #Motivation good morning