बेशरमी का कोठा रहा जो कहते उसे देश की शान है! होता 'संस्कृति'का चीरहरण दुःखी देश का सम्मान है! शर्म लगे कहने में 'हीरो' उससे अच्छे तो लफंगे हैं, इस हमाम में सब नंगे हैं! 'ड्रग्स-हीरोइन' ने विलेन बनाया, बनकर थी जो आई हीरोइन! आदर्श कैसे ये 'नई पीढ़ी' के, पीते जो गांजा और कोकीन! हुआ बेनक़ाब फिल्मिस्तान लोग नहीं अब बहरे- गूंगे हैं, इस 'हमाम में सब नंगे' हैं! 'कुकर्मों' की यह पाठशाला, समाज को खंडित करती है! विचित्र मगर लगती ये दुनिया, उन्हें महिमा मंडित करती है! फिल्मों की आइडियोलॉजी से मस्ती में डाकू-चोर-लफंगे हैं, इस 'हमाम में सब नंगे' हैं! चाबुक चला कानून का जब, कहते हम तो सच्चे हैं! शोहरत का पैमाना अगर यही दाग़ यही फिर अच्छे हैं! डुबकी लगाई सबने मानो, परियोजना 'नमामि गंगे' है कहे 'मुमताज़' विश्वास करो, इस 'हमाम में सब नंगे' हैं!! -मोहम्मद मुमताज़ हसन #नंगे #हमाम