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मोहब्बत को ' मुसाफिर ' इतना पाख़ ना समझ, मॏकदे में

मोहब्बत को ' मुसाफिर ' इतना पाख़ ना समझ,
मॏकदे में दिखते है मुझे अफ़सुर्दा आशिक़ अक्सर। अ़फसुर्दा = सताए हुए, पीड़ित।
पाख़ = पवित्र, साफ़।
मोहब्बत को ' मुसाफिर ' इतना पाख़ ना समझ,
मॏकदे में दिखते है मुझे अफ़सुर्दा आशिक़ अक्सर। अ़फसुर्दा = सताए हुए, पीड़ित।
पाख़ = पवित्र, साफ़।
tusharsingh8140

Tushar Singh

New Creator