Nojoto: Largest Storytelling Platform

आज भी महिलाओं और बेटियों पर भी हद से ज्यादा बंदिशे

आज भी महिलाओं और बेटियों
पर भी हद से ज्यादा बंदिशे है

[ Read Captain ] कुछ लोग अपने घर की महिलाओं/बेटियों पर भी हद से ज्यादा बंदिशे लगा देते है।
पैर की जूती है औरत,, 
कमजोर है,औरत,, 
बेवकूफ है, औरत, 
दिमाग़ नहीं है यही समझा जाता है औरत को ज़ब वो अपनी औलाद को जन्म देती है तो कितना दर्द होता है पता है 206 हड्डिया एक साथ तोड़ने जितना, नॉर्मल मे, डॉ ने बहका दिया ऑपरेशन होगा तो चीरा फाड़ी,, कितनी बंदिशे सहती है तीसरे महीने से फिर भी कदम कदम पर नीचा दिखाते है हम,,
जिम्मेदारी भी बहुत होती है एक माँ पर बच्चा छोटा है तो तीखा मत खाओ  ये नहीं वो नहीं,,क्यों की माँ का दूध ही बच्चे का आहार है,,, हम लोगो का क्या कोल्ड्रिंक बियर और जो भी मार्किट मे मिले वो सब खा सकते है,,  रात बच्चा जाग गया तो सारी रात किलकारियां गूंजती है,, बदले मे क्या मिलता गालिया, ताने चाहती क्या बदले मे सिर्फ प्यार और सम्मान चाहती है,, और कोई तम्मना नहीं होती,, 
अगर हमारी बाइक भी स्लिप हो जाए तो घर सिर पर उठा लेते है हम यही कलेजा है हम लोगो का,, उनसे पूछो कितना दर्द कितनी तकलीफ देती है खुद को अंदाजा भी नहीं लगा सकता कोई
सम्मान दीजिये महिलाओ को वो खुद की हो या दूसरे की
आज भी महिलाओं और बेटियों
पर भी हद से ज्यादा बंदिशे है

[ Read Captain ] कुछ लोग अपने घर की महिलाओं/बेटियों पर भी हद से ज्यादा बंदिशे लगा देते है।
पैर की जूती है औरत,, 
कमजोर है,औरत,, 
बेवकूफ है, औरत, 
दिमाग़ नहीं है यही समझा जाता है औरत को ज़ब वो अपनी औलाद को जन्म देती है तो कितना दर्द होता है पता है 206 हड्डिया एक साथ तोड़ने जितना, नॉर्मल मे, डॉ ने बहका दिया ऑपरेशन होगा तो चीरा फाड़ी,, कितनी बंदिशे सहती है तीसरे महीने से फिर भी कदम कदम पर नीचा दिखाते है हम,,
जिम्मेदारी भी बहुत होती है एक माँ पर बच्चा छोटा है तो तीखा मत खाओ  ये नहीं वो नहीं,,क्यों की माँ का दूध ही बच्चे का आहार है,,, हम लोगो का क्या कोल्ड्रिंक बियर और जो भी मार्किट मे मिले वो सब खा सकते है,,  रात बच्चा जाग गया तो सारी रात किलकारियां गूंजती है,, बदले मे क्या मिलता गालिया, ताने चाहती क्या बदले मे सिर्फ प्यार और सम्मान चाहती है,, और कोई तम्मना नहीं होती,, 
अगर हमारी बाइक भी स्लिप हो जाए तो घर सिर पर उठा लेते है हम यही कलेजा है हम लोगो का,, उनसे पूछो कितना दर्द कितनी तकलीफ देती है खुद को अंदाजा भी नहीं लगा सकता कोई
सम्मान दीजिये महिलाओ को वो खुद की हो या दूसरे की