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*ठहरा हुआ पानी मौन में गहरे बैठकर, मुझको आवाज लगा

*ठहरा हुआ पानी 
मौन में गहरे बैठकर, मुझको आवाज लगाता है कोई
मैं ठहरा हुआ सरोवर कंकड़ मारकर गिराता है कोई

थक गई है उफनती हुई मौजे मुझ में यूं सफर करते-करते
ऊपर से खामोश दिखता हूं अंदर से हरहरता  है कोई

शून्य का अश्क, दिखाई देता है मुझे सतहों के आईने पर
मेरे जिगर की गहराइयों में, हर शब छुप जाता है कही

हर्फ सब  चूकते हुए पत्थरों सारंगियो पे बजते हुए
अब खामोशियों पर मेरी जीभ लुफ्त उठा ता है कोई

 एक उम्र से गुजरा हूं कहा पुहूचा खबर नहीं
मेरे शब्दों की बनावट पर बड़ी हसी नजर आती है कोई

©ashish gupta
  #quotation 




#ठहराहुआपल 

मौन में गहरे बैठकर, मुझको आवाज लगाता है कोई
ashishgupta9317

ashish gupta

Bronze Star
New Creator

#quotation #ठहराहुआपल मौन में गहरे बैठकर, मुझको आवाज लगाता है कोई #Poetry

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