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यशोदा नंदन...की याद में..👇 सिर पर गगरी, उर प्रेम

यशोदा नंदन...की याद में..👇

सिर पर गगरी, उर प्रेम धरे,
पनघट को चली, कोई गोपी।।

तामस जीवन! सब कर्म करे,
पर मन में कृष्ण, रखे गोपी।।

कभी रूप शिशु, कभी चरवाहा,
कभी माखन चोर, की याद लिये।।

गोकुल की, गलियों में क्या है?
रज कण-कण, कृष्ण दिखे गोपी।।

उलझन! हे सखी बताऊँ क्या,
नित मुरली, गूँज रही गोपी।।

जब बाढ़ बढ़े, नाचे यमुना,
फिर जन्म हुवा,सोचूँ गोपी।।

राधा ना सही, मीरा ना भई,
पर निश्छल प्रेम, करे गोपी।।

जीवन मेहमान, पलों का है,
फिर कृष्ण, बुला लेंगे गोपी।।

©Tara Chandra Kandpal #हेकृष्ण
यशोदा नंदन...की याद में..👇

सिर पर गगरी, उर प्रेम धरे,
पनघट को चली, कोई गोपी।।

तामस जीवन! सब कर्म करे,
पर मन में कृष्ण, रखे गोपी।।

कभी रूप शिशु, कभी चरवाहा,
कभी माखन चोर, की याद लिये।।

गोकुल की, गलियों में क्या है?
रज कण-कण, कृष्ण दिखे गोपी।।

उलझन! हे सखी बताऊँ क्या,
नित मुरली, गूँज रही गोपी।।

जब बाढ़ बढ़े, नाचे यमुना,
फिर जन्म हुवा,सोचूँ गोपी।।

राधा ना सही, मीरा ना भई,
पर निश्छल प्रेम, करे गोपी।।

जीवन मेहमान, पलों का है,
फिर कृष्ण, बुला लेंगे गोपी।।

©Tara Chandra Kandpal #हेकृष्ण
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Tara Chandra

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