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अपार प्रेम की ज्वाला हो, दिल मोहित रंग निराला हो,

अपार प्रेम की ज्वाला हो,
दिल मोहित रंग निराला हो,

आंखों में बसता समस्त गगन,
रक्त में बसती है शक्ति अमर,

दिव्य लोक की तेवर हो,
अखंड रूप की जैवर हो,

उर्वशी का सौंदर्य हो,
काली की हुंकार हो,

तुम स्त्री रूक महान हो।


विशाल हिम की हिम्मत हो,
अनंत शक्ति की ज्वाला हो,

आदि की परिचायक हो,
अंत की निर्णायक हो,


मां की ममता हो,
बहन की कोमलता हो,
प्रिय की मुस्कान हो,
तुम स्त्री रूप  महान हो।।                     (मयंक राजा चौहान) poem @women
अपार प्रेम की ज्वाला हो,
दिल मोहित रंग निराला हो,

आंखों में बसता समस्त गगन,
रक्त में बसती है शक्ति अमर,

दिव्य लोक की तेवर हो,
अखंड रूप की जैवर हो,

उर्वशी का सौंदर्य हो,
काली की हुंकार हो,

तुम स्त्री रूक महान हो।


विशाल हिम की हिम्मत हो,
अनंत शक्ति की ज्वाला हो,

आदि की परिचायक हो,
अंत की निर्णायक हो,


मां की ममता हो,
बहन की कोमलता हो,
प्रिय की मुस्कान हो,
तुम स्त्री रूप  महान हो।।                     (मयंक राजा चौहान) poem @women