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प्रजातंत्र है, तो चुनाव है! चुनाव है,तो सियासी दल

प्रजातंत्र है, तो चुनाव है! चुनाव है,तो सियासी दल है! दल है,तो जनहित का स्वांग है! आदर्श की बातें है ! उसुलो का ढोंग है! जनसेवा  को समर्पित दलो के नेता को चुनाव के बाद ऐसी  कुंभकर्ण वाली नींद आती है कि वह अगले चुनाव से पहले खुल ही नही सकती ! वह भी अचानक जागता है! उन्हें तब  #गरीबो,#वन्चीतो,#दलीतो,#अल्पसंख्यकों  की सुधी आती है! इससे पहले वह सपने में भी नही सोचते है!
                 उपेंद्र"यादव___
प्रजातंत्र है, तो चुनाव है! चुनाव है,तो सियासी दल है! दल है,तो जनहित का स्वांग है! आदर्श की बातें है ! उसुलो का ढोंग है! जनसेवा  को समर्पित दलो के नेता को चुनाव के बाद ऐसी  कुंभकर्ण वाली नींद आती है कि वह अगले चुनाव से पहले खुल ही नही सकती ! वह भी अचानक जागता है! उन्हें तब  #गरीबो,#वन्चीतो,#दलीतो,#अल्पसंख्यकों  की सुधी आती है! इससे पहले वह सपने में भी नही सोचते है!
                 उपेंद्र"यादव___