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यूं तो वक्त के दामन में हैं छिद्र बहुत, संभल संभल

यूं तो वक्त के दामन में हैं छिद्र बहुत,
संभल संभल के चल तू,ऐ ज़िन्दगी...
फिसल जाए कब क्या छिद्र से ,
पल खुशियों के  समेटता चल,
फूल संस्कार के  बिखेरता चल...
बिंदास

©Bindu Sharma
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