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मेरे लबों पे हँसी खिल जाती है। वो जब ऑनलाइन मिल

मेरे लबों  पे  हँसी खिल जाती है।
वो जब ऑनलाइन मिल जाती है।
आँखों से पढ़ने लगता हूँ उसको !
कागज़ पे हर्फ़ बन उतर जाती है।
मेरे दिल की साइट्स हैक करके!
धड़कन की डोमेन बन जाती है।
सर्च करूँ जब कुछ अगर मैं तो!
मुझे हर जगह वो मिल जाती है।
आपकी कशिश गुरुत्वाकर्षण है!
जो कशिश-ए-बद्र बन जाती है।
मेरे की-पेड की हर एक कुंजी में !
शब,सुबह मेरा दिन बन जाती है। 🎀 Challenge-216 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।
मेरे लबों  पे  हँसी खिल जाती है।
वो जब ऑनलाइन मिल जाती है।
आँखों से पढ़ने लगता हूँ उसको !
कागज़ पे हर्फ़ बन उतर जाती है।
मेरे दिल की साइट्स हैक करके!
धड़कन की डोमेन बन जाती है।
सर्च करूँ जब कुछ अगर मैं तो!
मुझे हर जगह वो मिल जाती है।
आपकी कशिश गुरुत्वाकर्षण है!
जो कशिश-ए-बद्र बन जाती है।
मेरे की-पेड की हर एक कुंजी में !
शब,सुबह मेरा दिन बन जाती है। 🎀 Challenge-216 #collabwithकोराकाग़ज़

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