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अनगिन तारों के मध्य ही कहीं है अपनी धरती, जिसके भ

अनगिन तारों के मध्य ही
 कहीं है अपनी धरती,
जिसके भीतर अनगिन जीवों 
की जिंदगी चरती।
सब जीवों में निश्चित ही 
प्रज्ञाशील उसने रचा मानव 
लेकिन अतिदोहन कर धरा का 
वह बन गया है दानव।
जिसको धरती ने समझा 
था अपना संरक्षक 
वही बुद्धिधारी जीव 
बन गया उसका भक्षक।

©Kamlesh Kandpal #Bhkshk
अनगिन तारों के मध्य ही
 कहीं है अपनी धरती,
जिसके भीतर अनगिन जीवों 
की जिंदगी चरती।
सब जीवों में निश्चित ही 
प्रज्ञाशील उसने रचा मानव 
लेकिन अतिदोहन कर धरा का 
वह बन गया है दानव।
जिसको धरती ने समझा 
था अपना संरक्षक 
वही बुद्धिधारी जीव 
बन गया उसका भक्षक।

©Kamlesh Kandpal #Bhkshk
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Kamlesh Kandpal

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