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विडंबना औरत अजीब विडंबना तेरी ना पीहर तेरा ना पति

विडंबना 
औरत अजीब विडंबना तेरी ना पीहर तेरा ना पति का घर तेरा |
तू सबके लिए जरूरी पर तेरा सम्मान किसी के लिए नहीं जरूरी |
तू घूटती है तू अपना आत्म सम्मान खोतीहै |
फिर भी किसी को नहीं दिखता रोना तेरा |
टूट कर बिखरना तेरा |
औरत अजीब विडंबना तेरी ना पीहर तेरा ना पति का घर तेरा |

©shefalika chourasiya
  विडंबना

विडंबना #कविता

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