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आ गया तू पूर्णिमा की रात में पकड़ लू मैं तुझे अपने

आ गया तू पूर्णिमा की रात में
 पकड़ लू मैं तुझे अपनें हाथ में

खोद कर गड्ढा उसमें तुझे डाल दूंगी
प्यार से सिचूंगी विश्वास की खाद दूंगी

अंकुर फिर तेरा फूटेगा जरूर
बाहर एक दिन तू निकलेगा जरूर

होगा पौधा तेरा नन्हा सा और प्यारा
उसी को देख बिताऊंगी मैं वक्त सारा

धीरे-धीरे पौधा वो बढ़ेगा 
फिर एक दिन फूल उस पर खिलेगा

एक के बाद कई सारे फूल खिलेंगे
फिर उस पर ढेरों चांद लगेंगे

फिर सारे चांद होंगे मेरे
न रहना पड़ेगा मुझे इंतजार में तेरे

दिन में भी चाँद होंगे मेरे हाथ में
तु तो आता हैं केवल रात में

किसी को भी अपनें चाँद न लेने दूंगी
लेकिन तू मांगेगा तो तुझे भी एक चांद दे दूंगी #चाँद का पौधा
आ गया तू पूर्णिमा की रात में
 पकड़ लू मैं तुझे अपनें हाथ में

खोद कर गड्ढा उसमें तुझे डाल दूंगी
प्यार से सिचूंगी विश्वास की खाद दूंगी

अंकुर फिर तेरा फूटेगा जरूर
बाहर एक दिन तू निकलेगा जरूर

होगा पौधा तेरा नन्हा सा और प्यारा
उसी को देख बिताऊंगी मैं वक्त सारा

धीरे-धीरे पौधा वो बढ़ेगा 
फिर एक दिन फूल उस पर खिलेगा

एक के बाद कई सारे फूल खिलेंगे
फिर उस पर ढेरों चांद लगेंगे

फिर सारे चांद होंगे मेरे
न रहना पड़ेगा मुझे इंतजार में तेरे

दिन में भी चाँद होंगे मेरे हाथ में
तु तो आता हैं केवल रात में

किसी को भी अपनें चाँद न लेने दूंगी
लेकिन तू मांगेगा तो तुझे भी एक चांद दे दूंगी #चाँद का पौधा
brrawat2001

भानु

Bronze Star
New Creator

#चाँद का पौधा