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तुम्हारा स्वरूप मैं जानता हूँ तुम मेरी हो कविता

तुम्हारा स्वरूप 

मैं जानता हूँ
तुम मेरी हो 
कविता की शक्ल में भी
कविता जो कि
तुम्हारा मूल रूप है ।
मैं कभी भी
अपनी हार,अपनी खीझ,अपने अवसाद,अपने दुःख 
और अपने पागलपन का ज़िम्मेदार
तुम्हें नहीं मानूँगा
नहीं दूँगा बाक़ी सारे हारे-थके प्रेमियों की तरह 
कोई दोष तुम्हें ।
मैं मानता हूं 
कि मैं कभी मान नहीं सकता 
तुम्हें अपने किसी भी मलाल का कारण
तुम्हें नहीं मान सकता 
अपने सपनों की टूटन का ज़िम्मेदार कभी ।
तुम्हारे रहते कोई पल
अशुभ हो ही नहीं सकता 
तुम्हारी आँखों में एकबार देख लेने के बाद
तुम्हारी आँखों से एकबार देख लेने के बाद
तो मुझे वो दुनिया भी ख़ूबसूरत लगने लगी है
जिसने मुझे क्या किसी को भी
निराशा के सिवाय कुछ नहीं दिया।
 ये तो मेरी अपनी तबाह की हुई दुनिया है
जिसको तेरी मोहब्बत ने ही बचे रहने का हौसला दिया ।
मैं ये जानते हुए भी 
कि हमारी जिस उम्र का मूल स्वरूप ही ख़त्म होना है
जिसके उसपार मृत्यु के अलावा कुछ भी नहीं है ।
सिर्फ़ तुम्हारे प्रेम के कारण 
इस आत्मविश्वास को जी रहा हूँ 
कि तुम हर लम्हां मेरे साथ हो 
उस ज़िन्दग़ी की शक़्ल में 
जिसका मूल रूप तुम हो !
             कुन्दन तुम्हारा स्वरूप
तुम्हारा स्वरूप 

मैं जानता हूँ
तुम मेरी हो 
कविता की शक्ल में भी
कविता जो कि
तुम्हारा मूल रूप है ।
मैं कभी भी
अपनी हार,अपनी खीझ,अपने अवसाद,अपने दुःख 
और अपने पागलपन का ज़िम्मेदार
तुम्हें नहीं मानूँगा
नहीं दूँगा बाक़ी सारे हारे-थके प्रेमियों की तरह 
कोई दोष तुम्हें ।
मैं मानता हूं 
कि मैं कभी मान नहीं सकता 
तुम्हें अपने किसी भी मलाल का कारण
तुम्हें नहीं मान सकता 
अपने सपनों की टूटन का ज़िम्मेदार कभी ।
तुम्हारे रहते कोई पल
अशुभ हो ही नहीं सकता 
तुम्हारी आँखों में एकबार देख लेने के बाद
तुम्हारी आँखों से एकबार देख लेने के बाद
तो मुझे वो दुनिया भी ख़ूबसूरत लगने लगी है
जिसने मुझे क्या किसी को भी
निराशा के सिवाय कुछ नहीं दिया।
 ये तो मेरी अपनी तबाह की हुई दुनिया है
जिसको तेरी मोहब्बत ने ही बचे रहने का हौसला दिया ।
मैं ये जानते हुए भी 
कि हमारी जिस उम्र का मूल स्वरूप ही ख़त्म होना है
जिसके उसपार मृत्यु के अलावा कुछ भी नहीं है ।
सिर्फ़ तुम्हारे प्रेम के कारण 
इस आत्मविश्वास को जी रहा हूँ 
कि तुम हर लम्हां मेरे साथ हो 
उस ज़िन्दग़ी की शक़्ल में 
जिसका मूल रूप तुम हो !
             कुन्दन तुम्हारा स्वरूप
kivikundan6814

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