तर बतर है हसरतें बंजर मगर दिल की ज़मीन ये प्यास सदियों की है ..या ये पल इन लम्हों में यूँ सिमटती गई जैसे ,कोई परछाई अंधेरों में भी है ताकती किसी अंजुमन के झरोखे से खामोशी से है झांकती फिर क्यों न हो तर बतर हसरतें और बंजर दिल की ज़मीन तर बतर हसरतें #पारस #परछाई #allalone