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लगा के आग सीने में तुम कहां चली हो? मौसम जहां की

लगा के आग सीने में 
तुम कहां चली हो? 
मौसम जहां की बारिश हो
तुम वहां चली हो
बैठी हो तुम जिस दरिया में, छुप के
खबरदार 
ये लपट तुम तक 
वहां भी पहोंच सकती है
पानी तो फिर भी पानी है
सीने में जलती लौ इश्क़ की 
लहू सुखा सकती है। Waste
लगा के आग सीने में 
तुम कहां चली हो? 
मौसम जहां की बारिश हो
तुम वहां चली हो
बैठी हो तुम जिस दरिया में, छुप के
खबरदार 
ये लपट तुम तक 
वहां भी पहोंच सकती है
पानी तो फिर भी पानी है
सीने में जलती लौ इश्क़ की 
लहू सुखा सकती है। Waste
mukeshsingh7526

Mukesh Singh

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