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कुद़रत की एक नायाब कला हो तुम दुनिया की कोई चीज़ नह

कुद़रत की एक नायाब कला हो तुम
दुनिया की कोई चीज़ नहीं चादँ का एक तुकड़ा हो तुम
इठलाती, बलखाती, इतराती तुम
सागर पर चलती एक क़श्ती हो तुम
गालों से लगती हो एक रंगीन गुलाब हो तुम
बालों से लगती हो एक खुबसूरत लता हो तुम
कुद़रत की एक नायाब कला हो तुम

बरसो कुबूली दुआओं का खिला एक फूल हो तुम
मेरे गीत-ग़जलों का एक सार हो तुम
चलती-फिरती संगमरमर की मूरत हो तुम
आँखों से लगती हो एक आइना हो तुम
होठों से लगती हो एक प्यारी ग़जल हो तुम
कुद़रत की एक नायाब कला हो तुम... #कुद़रत की एक नायाब कला हो तुम
दुनिया की कोई चीज़ नहीं चादँ का एक तुकड़ा हो तुम
इठलाती, बलखाती, इतराती तुम
सागर पर चलती एक क़श्ती हो तुम
गालों से लगती हो एक रंगीन गुलाब  हो तुम
बालों से लगती हो एक खुबसूरत लता हो तुम
कुद़रत की एक नायाब कला हो तुम
कुद़रत की एक नायाब कला हो तुम
दुनिया की कोई चीज़ नहीं चादँ का एक तुकड़ा हो तुम
इठलाती, बलखाती, इतराती तुम
सागर पर चलती एक क़श्ती हो तुम
गालों से लगती हो एक रंगीन गुलाब हो तुम
बालों से लगती हो एक खुबसूरत लता हो तुम
कुद़रत की एक नायाब कला हो तुम

बरसो कुबूली दुआओं का खिला एक फूल हो तुम
मेरे गीत-ग़जलों का एक सार हो तुम
चलती-फिरती संगमरमर की मूरत हो तुम
आँखों से लगती हो एक आइना हो तुम
होठों से लगती हो एक प्यारी ग़जल हो तुम
कुद़रत की एक नायाब कला हो तुम... #कुद़रत की एक नायाब कला हो तुम
दुनिया की कोई चीज़ नहीं चादँ का एक तुकड़ा हो तुम
इठलाती, बलखाती, इतराती तुम
सागर पर चलती एक क़श्ती हो तुम
गालों से लगती हो एक रंगीन गुलाब  हो तुम
बालों से लगती हो एक खुबसूरत लता हो तुम
कुद़रत की एक नायाब कला हो तुम

#कुद़रत की एक नायाब कला हो तुम दुनिया की कोई चीज़ नहीं चादँ का एक तुकड़ा हो तुम इठलाती, बलखाती, इतराती तुम सागर पर चलती एक क़श्ती हो तुम गालों से लगती हो एक रंगीन गुलाब हो तुम बालों से लगती हो एक खुबसूरत लता हो तुम कुद़रत की एक नायाब कला हो तुम #कविता #kishan #©Reserved