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वो शोर हो रहा है यहां। जो मेरे अलावां किसी को सु

  वो शोर हो रहा है यहां।
जो मेरे अलावां किसी को सुनाई नहीं देता।
उम्मीदों का बुझता दिया।
चलती हवा को दिखाईं नहीं देता।
मैं रो भी लूं अगर चिख़ चिख़ कर।
मेरे आँसू का हर कतरा
मुझको ही अब दिखाई नहीं देता।
मैं पुछता हुँ जिंदगी से रोज़ सवाल।
मुझे कोई जवाब अब दिखाई नहीं देता।
मैं चलता हूं बे_गैरत सा अपनी जिंदगी जैसा।
मुझे कोई रास्ता अब दिखाई नहीं देता।
मैं बदलता हूं हर रोज़ जख्म को हंसी के रफू से।
मुझे कोई मरहम अब दिखाई नहीं देता।
मैं तलाशता रहता हूँ खोयी खुशियों को।
ग़म के अलावा कोई साथ दिखाई नहीं देता।
मुझे जिंदगी में सब दिखता है।
बस जीना मेरा एक दिखाईं नहीं देता।

©prakash kharate
  hate you

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