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Guru Purnima पिता ने आँगन घर बनाया

Guru Purnima पिता ने आँगन घर बनाया
                  माँ ने भर दिया प्यार।
बेटों ने मिलकर चुन डाली
              अब आँगन मे दीवार।।
व्याकुल नजरें ढूँढ रही हैं
     आँगन का वो तुलसी क्यारा।।
 पथरायी पलकेँ पूछ रही हैं
    कहाँ गया मेरामंदिर प्यारा।।
पर कोई नहीँ बतलाने वाला।
         हर कमरे पर लगा है ताला।
जब से घर को बाँटा है
                   घर भर मे सन्नाटा है।
हूआ इजाफा रंजिश मे
            रिश्तोँ का दिल मे घाटा है।।
जमी विरासत बाँट चुके
        फिर जब  माँ की बारी आई।
सारे मिलकर सोच रहे 
             ये कैसी जिम्मेदारी आई।।
जिस माँ ने बच्चों को पाला।
      अपने मुँह का देकर निवाला।।
जब बारी बच्चों की आई
   सबने मिलकर माँ को निकाला।।
देखो कितनी बेबस है"माँ" 
           सहमी सहमी और डरती है।
फिर भी बच्चे रहे सलामत
                दुआ खुदा से करती है।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
      ये होती हैं *माँ*
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
        प्रमोद सनाढ़्य 
          नाथद्वारा yaadein
Guru Purnima पिता ने आँगन घर बनाया
                  माँ ने भर दिया प्यार।
बेटों ने मिलकर चुन डाली
              अब आँगन मे दीवार।।
व्याकुल नजरें ढूँढ रही हैं
     आँगन का वो तुलसी क्यारा।।
 पथरायी पलकेँ पूछ रही हैं
    कहाँ गया मेरामंदिर प्यारा।।
पर कोई नहीँ बतलाने वाला।
         हर कमरे पर लगा है ताला।
जब से घर को बाँटा है
                   घर भर मे सन्नाटा है।
हूआ इजाफा रंजिश मे
            रिश्तोँ का दिल मे घाटा है।।
जमी विरासत बाँट चुके
        फिर जब  माँ की बारी आई।
सारे मिलकर सोच रहे 
             ये कैसी जिम्मेदारी आई।।
जिस माँ ने बच्चों को पाला।
      अपने मुँह का देकर निवाला।।
जब बारी बच्चों की आई
   सबने मिलकर माँ को निकाला।।
देखो कितनी बेबस है"माँ" 
           सहमी सहमी और डरती है।
फिर भी बच्चे रहे सलामत
                दुआ खुदा से करती है।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
      ये होती हैं *माँ*
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
        प्रमोद सनाढ़्य 
          नाथद्वारा yaadein