आपका हुक्म था सरकार नहीं होने दिया खुद को दुनियां का तलबगार नहीं होने दिया। जैसे तैसे गैरों को ठहरने की इजाजत नहीं दी दिल को दिल रखा बाजार होने दिया।। (एक्स,आर्मी) ©Krishana Kant Sinha #Distant