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तुम मित्र ही नहीं भाई हो मेरे, मैं सखी नहीं भाई हू

तुम मित्र ही नहीं भाई हो मेरे,
मैं सखी नहीं भाई हूं तुम्हारी।
ये रिश्ता तुम्हारा मेरा बिल्कुल ही अनोखा है,
शक्ल तुम्हारी लोगों को देती धोखा है।
मराठी को मद्रासी समझती है ये दुनिया,
लड़का लड़की की दोस्ती को भी,
कहां समझती है ये दुनिया।
दुनिया की सुनने वाले कभी जी नही पाते,
शुक्रिया करो रंगमंच का वरना,
तुम तो मुझसे मिल भी नहीं पाते।।
 नमस्ते🙏
प्रिय लेखक/ लेखिका✍️

यह प्रतियोगिता का तीसरा चरण है। 

कहानी में ट्विस्ट है, आज Multiple collab नहीं हैं । 

आज आप सभी प्रतिभागियों को अपने प्रिय YQ कवि / कवयित्री को कविता समर्पित करनी है ।
तुम मित्र ही नहीं भाई हो मेरे,
मैं सखी नहीं भाई हूं तुम्हारी।
ये रिश्ता तुम्हारा मेरा बिल्कुल ही अनोखा है,
शक्ल तुम्हारी लोगों को देती धोखा है।
मराठी को मद्रासी समझती है ये दुनिया,
लड़का लड़की की दोस्ती को भी,
कहां समझती है ये दुनिया।
दुनिया की सुनने वाले कभी जी नही पाते,
शुक्रिया करो रंगमंच का वरना,
तुम तो मुझसे मिल भी नहीं पाते।।
 नमस्ते🙏
प्रिय लेखक/ लेखिका✍️

यह प्रतियोगिता का तीसरा चरण है। 

कहानी में ट्विस्ट है, आज Multiple collab नहीं हैं । 

आज आप सभी प्रतिभागियों को अपने प्रिय YQ कवि / कवयित्री को कविता समर्पित करनी है ।
mahimajain6772

Mahima Jain

New Creator