कियो डरे की जींदगी में क्या होगा । हर वक्त कीयु सोचे कि कूछ बुरा होगा बढते रहे मंजिल की ओर हमे कूछ मिले या न मिले, पर तजुर्बा तो नया होगा ।। poetry jyoti khandelwal. Sirohi jyoti khandelwal