हवाओं का दम घुट रहा है इस नीलामी बाज़ार में , कहीं मजबूरी बिक रही है कहीं मानवता है दुकान में , हवाओं का दम घुट रहा है इस नीलामी बाज़ार में । नदियाँ भी प्यासी हैं अब तक इस स्वार्थी संसार में , मित्रता भी बिक रही है इस लालच के बाज़ार में , हवाओं का दम घुट रहा है इस नीलामी बाज़ार में । रोशनी भी भटक रही है उजाले की तलाश में , शिक्षा की हत्या हो रही है इस व्यापारी संसार में , हवाओं का दम घुट रहा है इस नीलामी बाज़ार में । --- Lekhak Suyash #Poetry_Of_Suyash "Neelami Bazar" - a poetry written by me. #lekhaksuyash #SAD #Poetry #sad_shayari #poem #Poet #Life