ऐसी भी क्या मजबूरी है के मिल नहीं सकते, इस बज़्म-ए-शो'रा में हो शामिल नहीं सकते اا आते ग़र यहां तो सुनते लफ़्ज़ों का इश्क़ बयां, किसने कहा था शायर को दे दिल नहीं सकते اا बज़्म-ए-शो'रा - कवि सम्मेलन, मुशायरा ऐसी भी क्या मजबूरी है... #मजबूरी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqquotes #yqtales #yqlove #yqdiary