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     सफ़र शामिल हूँ  सफ़र में पर मुझे सफर कहां तक

     सफ़र
शामिल हूँ  सफ़र में
पर मुझे सफर कहां तक करना है !!!
शायद  मेरे दिल को पता है  ।
 कुछ भी नहीं हूँ मैं तुम्हारे बिना
इश्क करता हूं
ताउम्र करता रहूंगा ।
चलता रहें यूं ही
ये इश्क़ का सिलसिला
चलने से कभी 
रास्ते या रिश्तें खत्म नहीं हो जाते
कोशिश करते रहिए
जिंदगी उन्हें ढूंढ  ही लेगी।
राह बंट जाते हैं कई हिस्सों में
पर अंत तक राही
गंतव्य तक चलने को मजबूर होता है।
इसलिए
सफ़र में सफर का मज़ा लिए
चल रहा हूं ।

©Rakesh Kumar Das
  सफ़र#सफ़र

सफ़रसफ़र #कविता

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