"शामिल कफ़न में हो गए कल वफ़ा करते थे जिनसे , जान से ज़्यादा, वो रुसवा हो गए। ग़ैर की बांहों में बांहें डाल के ,पहलू में उसके खो गए। एक पल में रंग उल्फ़त के वफ़ा, ना उम्मीद सारे हो गए । ऐसे टूटे ख़्वाब दिल के, 'अनुज'कि,शामिल कफ़न में हो गए। ©Anuj Ray " शामिल कफ़न में हो गए"