दुआओं का असर तो हमेशा होता है, हम बस सब्र करना अब भूल गए है जितनी सच्ची भक्ति उतनी कम तक़लीफ़। और भक्ति से यहाँ तात्पर्य सिर्फ़ भगवान की भक्ति से नहीं, पर हर वो कर्म है, हर वो सेवा है जो आप बिना कोई निजी स्वार्थ के सच्चे मन से करते है। फिर चाहे वो किसी प्यासे को पानी पिलाने जितना ही छोटा कार्य क्यूँ न हो। साफ़ मन और नेक इरादा। इन्हीं दो गुणों को अपने अंदर भर कर भक्ति मार्ग का पहला कदम लिया जाता है। सब्र करो! भगवान जी आपसे बहुत मोहब्बत करते है। बस आपको ज़िंदगी जीने के तरीक़े बताते बताते ज़रा माँ पापा जैसे कठोर हो जाते है। पर उस परमात्मा से कभी नफ़रत न करना, वो तो बस आपका प्यार चाहता है, आपका ही भला चाहता है।