धधकती धूप में अपनी किस्मत आजमाता है जो वो है किसान भुल-भुली भरी रेत में अपने कदमों को सुखाता है जो वो है किसान कठनाईयों के मार्ग में फसलों को उगाता है जो वो है किसान अपनी रातें जागकर खेतों में फसलों को बचाता है जो वो है किसान अपने दिनों को, अपनी रातों को, अपने सुख को, अपनी भूख को खेतों में दबा कर अपने बच्चों को पढाता है जो वो है किसान अपने खून को बहाकर औरों की प्यास बुझाता है जो वो है किसान जिस पर सबने जुल्म किये अथाह दुतकारा जिसे समझ कर अनाथ वो बेचारा है किसान इन्साफ़ दिलाता है ऐसे किसान को जो सच्चे मायनों में इन्सान है वो ©Kumar Abhi #no_words_can_explain_it ... #farmersprotest