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फुटपाथ का राजा और सपनों का रंक, छोटा सा बचपन और कप

फुटपाथ का राजा और सपनों का रंक,
छोटा सा बचपन और कपड़े है तंग,
रोता पुचकारता बेमतलब की बेखुदी को,
लगाता आवाज़ कोने से बेमतलब की जिंदगी को,
ना घर इनका ना मा बाप का पता है,
इसमें भला इं बच्चों की क्या खता है,
हर जगह से इनको दुत्कारा गया है,
आज फिर एक मासूम कचड़े में पाया गया है,
उसका भी कोई मान नहीं रह गया इन समाजों में,
उठा के झोंक दिया है जलती अंगारों में,
कैसी मां होगी जिसमें ममता का कोई लिबास नहीं,
ये घटना हकीक़त है कोई बकवास नहीं,
अभिन्न उमंगों से वो दर दर भीख मांगता है,
जाने वो इस दुखी समाज से अब क्या चाहता है,
उसको क्या लेना गीता और कुरान से,
क्या मतलब मदिर की घंटी और आजान से,
जो हाथ निवाले को उठता है वो ईश्वर है,
अन्यथा बाकी के तो बस नश्वर है,
मैं उन मासूमों की जिंदगी देख समाज पर शर्मिंदा हूं,
हा मैं इन्हीं बेढंग समाजों अभिन्न हिस्सा हूं। समझ पर शर्मिंदा
#yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqtales #yqdidihindi #yqbabahindi #yqdidichallenge #yqbabachallenge
फुटपाथ का राजा और सपनों का रंक,
छोटा सा बचपन और कपड़े है तंग,
रोता पुचकारता बेमतलब की बेखुदी को,
लगाता आवाज़ कोने से बेमतलब की जिंदगी को,
ना घर इनका ना मा बाप का पता है,
इसमें भला इं बच्चों की क्या खता है,
हर जगह से इनको दुत्कारा गया है,
आज फिर एक मासूम कचड़े में पाया गया है,
उसका भी कोई मान नहीं रह गया इन समाजों में,
उठा के झोंक दिया है जलती अंगारों में,
कैसी मां होगी जिसमें ममता का कोई लिबास नहीं,
ये घटना हकीक़त है कोई बकवास नहीं,
अभिन्न उमंगों से वो दर दर भीख मांगता है,
जाने वो इस दुखी समाज से अब क्या चाहता है,
उसको क्या लेना गीता और कुरान से,
क्या मतलब मदिर की घंटी और आजान से,
जो हाथ निवाले को उठता है वो ईश्वर है,
अन्यथा बाकी के तो बस नश्वर है,
मैं उन मासूमों की जिंदगी देख समाज पर शर्मिंदा हूं,
हा मैं इन्हीं बेढंग समाजों अभिन्न हिस्सा हूं। समझ पर शर्मिंदा
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sbhaskar7100

S. Bhaskar

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