गिरता है जो शिखरों से पानी, वो तेरे आंसुओं की धार नहीं। जगमाते हैं जो दूसरों के घरों में दिये, वो तेरे मन के अंधेरों को ललकार नहीं। जीते हैं सब अपने लिए, मर जाते हैं अपने संग। तेरा हिसाब तेरे कर्मों तक ही है, उसमें किसी और की रेज़गारी नहीं। ©Babita Bharati रेजगारी - छोटे पैसे। #hindipoetry #insecurity #Shayari #quoteoftheday #hindiwriters #Nojoto