बस एक उम्मीद में जिंदगी का सफ़र कट रहा है ।। यहाँ कुछ अपने भी है ,मेरे दुख से उन्हें भी ग़म बट रहा है ।। मुतासिर नही हुआ में उजाले से, देखो आसमा में अंधियारा छट रहा है ।। ग़र में मंज़िल भी पा लू तो क्या खुश , मेरे अपने नही तो लोग कहेंगे...….. भरत यहाँ तू क्या कर रहा है ।। ग़नीमत है सब्र जिंदगी का दूर होने का डर दिल मे बसर कर रहा है ।। बेतहाशा ख़ुसी दु उन्हें, तो क्या फर्क पड़ता है यहाँ कोई मर रहा है ।। ##भरत उइके ✍️about my life