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लोगो से अब डर लगता है हमें ये वक्त का हिसाब मांगते

लोगो से अब डर लगता है हमें
ये वक्त का हिसाब मांगते है 
जिसमे लिखे हो इनके मतलब का कुछ 
वही किताब मांगते है 
पढ़ने का शौक तो कब का खत्म है
अब तमाशा दिखा कर इनाम मांगते है
दर्शनीय अदर्शनीय सब जायज है 
बस इनाम थोड़ा तमाम मांगते है 
कभी कभी लगता है दुनियां बुरी है 
पर बुरे तो हम है जो इनसे अपनी पहचान मांगते है
किए जो मदद उसका भी 
कोई बड़ा खिताब मांगते है 
इतने खुदगर्ज हो गए अब तो 
नन्हे बच्चो के आखों से ख्वाब मांगते है 
छीन लेते है हाथो से वस्तु 
और जेल जाने पर इंसाफ मांगते है 
लोगो से डर लगता है अब हमे
ये वक्त का हिसाब मांगते है ।।

©Kanak Tiwari
  Dear Zindagi Mr RN SINGH  Rachna Rathore Bh@Wn@ Sh@Rm@  परवरिश कल की( दीपक यादव)