नाम में क्या रखा है क्यूँ इसे नाम देकर बांधना चाहते हो मुद्दतों बाद तो निकला हूँ घर से इक शहर क्यूं फिर रिश्तों की परिभाषा रटवाना चाहते हो ये प्रेम रटकर नही होगा मुझसे जैसा निश्चित कर दिया गया है इसका ढांचा नहीं देना चाहता हूँ आकार वैसा न खुद को, न प्रेम को नाम मत दो बस होने दो, उठने दो हिलोरे बहनें दो निरंतर... अपनी ही गति में, अपनी ही धुन में :) ©Kajalife.... #Love#Defination.....!!!!!!!! #Kajalife #NojotoWriter #23december #You&Me