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शीर्षक :- पियां की याद आना सून भरे इस वक्त में,

शीर्षक :- पियां की याद आना

सून भरे इस वक्त में, 
हर बात तेरी सताती है.. 
आज मुझे मेरे पिया की 
बहुत याद आती है..! 


भरे रंगीन ये हाथ मेरे, 
पिया के हाथों पले गये.. 
यूं अकेली छोड़ मुझे, 
पिया परदेशों  चले गये.. 


हमेशा की तरह ये भोर भी निकल आती है..... 
बिन साजन के नाम की, 
ये संध्या भी ढल जाती है.. 
आज मुझे मेरे पिया की, 
बहुत याद आती है...! 


बिन साजन अब न जाने, 
ये घड़ी कैसे बताउंगी.. 
आप तो सजणा छोड़ गये, 
अब खरी किसे सुनाउंगी.. 
हर छोटी-सी बात तेरी, 
मुझे बहुत रुलाती है.. 
आज मुझे मेरे पिया की, 
बहुत याद आती है...! 



देख तस्वीर अब पियां की, 
ये दिन वर्ष-से बह रहे... 
क्या करुं में बता सजणा, 
हम तरस के रह रहै..! 


बिन सजणा आप के, 
ये घड़ी भी मुझे सताती है.. 
आज मुझे मेरे पियां की, 
बहुत याद आती है.....! 


रचनाकार :- अशोक जांगिड़ पिया की याद आना 
#peace
शीर्षक :- पियां की याद आना

सून भरे इस वक्त में, 
हर बात तेरी सताती है.. 
आज मुझे मेरे पिया की 
बहुत याद आती है..! 


भरे रंगीन ये हाथ मेरे, 
पिया के हाथों पले गये.. 
यूं अकेली छोड़ मुझे, 
पिया परदेशों  चले गये.. 


हमेशा की तरह ये भोर भी निकल आती है..... 
बिन साजन के नाम की, 
ये संध्या भी ढल जाती है.. 
आज मुझे मेरे पिया की, 
बहुत याद आती है...! 


बिन साजन अब न जाने, 
ये घड़ी कैसे बताउंगी.. 
आप तो सजणा छोड़ गये, 
अब खरी किसे सुनाउंगी.. 
हर छोटी-सी बात तेरी, 
मुझे बहुत रुलाती है.. 
आज मुझे मेरे पिया की, 
बहुत याद आती है...! 



देख तस्वीर अब पियां की, 
ये दिन वर्ष-से बह रहे... 
क्या करुं में बता सजणा, 
हम तरस के रह रहै..! 


बिन सजणा आप के, 
ये घड़ी भी मुझे सताती है.. 
आज मुझे मेरे पियां की, 
बहुत याद आती है.....! 


रचनाकार :- अशोक जांगिड़ पिया की याद आना 
#peace