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नूर ए फ़िशा को जमीं पे आने में वक़्त लगता हैं तुमनें

नूर ए फ़िशा को जमीं पे आने में वक़्त लगता हैं
तुमनें कैसे कह दिया वो हमें कम्बख्त लगता हैं
ख़ुदा की नज़रो में सब बराबर हैं ये मेरे दोस्त
उन्हें तो हर एक इंसा उनका भक्त लगता हैं
रही बात तकलीफ होने की तो गौर से सुन
क़भी क़भी खुश मिज़ाज़ी भी सुस्त लगता हैं

©Ramjaane Solanki #कम्बख्त
नूर ए फ़िशा को जमीं पे आने में वक़्त लगता हैं
तुमनें कैसे कह दिया वो हमें कम्बख्त लगता हैं
ख़ुदा की नज़रो में सब बराबर हैं ये मेरे दोस्त
उन्हें तो हर एक इंसा उनका भक्त लगता हैं
रही बात तकलीफ होने की तो गौर से सुन
क़भी क़भी खुश मिज़ाज़ी भी सुस्त लगता हैं

©Ramjaane Solanki #कम्बख्त