जब ये भटकन लड़ती है पल पल से अजब ये चुप्पियां भी बात दिनभर करती है कण कण से। छिपाकर कब तलक रख ले हम इनको निग़ाहों में समझकर कर ना दे कोई इन्हे साझा तो जन जन से।। Deepa #विषयों का घेराव