दुष्टों की काल बनी तुम काली, भक्तों की तुम ही माँ शेरावाली.. चंडी रूप में शक्ति स्वरूपा.. तुम ही जगत जननी दुर्गा... नवरात्रि यह अति शुभकारी, पूजे नौ रूप गृहस्थ-ब्रम्हचारी.. नयनों में करुणा की गंगा समाये, चरण रज से पापी भी तर जाये... मंदिर लाल ध्वजा स्वर्ण घंटा शोभे, तेरी ममतामयी सूरत हृदय मोहे... भक्ति में लीन हुए हैं सारे, देव ,गंधर्व,मानस चंद्र-तारे.. करो हम पर भी अपनी अनुकंपा, तेरी सदा ही जय हो माँ जगदम्बा... ©Chanchal's poetry #navratri2022 #durga #Devotional #spritual #navratri