मन के कितने दरवाजे हैं,एक दरवाजा खोलो तो
हम भी समझें बोल तुम्हारे, ऐसी भाषा बोलो तो
घर आंगन अंबर सब साझा, ऐसी बातें कहते हो
कोई घर में आग लगाए, बुझाने में संग हो लो तो
हम भी हम भी कर कर अधिकार जताया करते हो
संसाधन पूरे लेने को हरदम रार मचाया करते हो #Collab#YourQuoteAndMine#kashmirfiles#jayakikalamse#भरोसाखुलादरवाज़ा#काश्मीर_पंडित