एक दोस्त था मेरा भोला एक दिन पड़ गया था उसका रोला मैं तुरंत गया लेके स्कूटर ‘ओला’ बीच रास्ते बंद हुआ और कुछ ना बोला मैंने बीच रोड़ पर उसे खोला लेकिन फिर से ओला कुछ ना बोला परेशान हो कबाड़ी के पास उसे तोला इंतज़ार करता रहा भोला मैं निकल पड़ा उठा के झोला - श्याम रंगीला #Ola #ओला ©मलंग