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युद्ध के विरुद्ध _________________________ ...तब उ

युद्ध के विरुद्ध
_________________________
...तब उसकी आत्मायें भटकती होगी 
बन्द शहर के खुले अस्पतालों में। 
सुनसान सड़क पर सहमी पदचापों में।
बेंडा बन्द घरों में भूखे अकुलाय दुधमुँहे बच्चों में।

...जब उसकी मौत, असामयिक हुयीं हों।
...जब उसकी नरेटी, दबा दी गयी हो, बलपूर्वक।
सिर्फ यन्त्र समझ, हिटलरी गुमान में। 
 खैर...
फूलों का पत्थर बनना समझते हो ??
फिर, ध्वनियों का अचानक चुप हो जाना।
तुम क्या ही समझोगे..???????

#कलम_से

©Deepesh Kumar
युद्ध के विरुद्ध
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...तब उसकी आत्मायें भटकती होगी 
बन्द शहर के खुले अस्पतालों में। 
सुनसान सड़क पर सहमी पदचापों में।
बेंडा बन्द घरों में भूखे अकुलाय दुधमुँहे बच्चों में।

...जब उसकी मौत, असामयिक हुयीं हों।
...जब उसकी नरेटी, दबा दी गयी हो, बलपूर्वक।
सिर्फ यन्त्र समझ, हिटलरी गुमान में। 
 खैर...
फूलों का पत्थर बनना समझते हो ??
फिर, ध्वनियों का अचानक चुप हो जाना।
तुम क्या ही समझोगे..???????

#कलम_से

©Deepesh Kumar