Nojoto: Largest Storytelling Platform

विचारों का भूकंप --------------------- रात भर जगत

विचारों  का भूकंप
---------------------
रात भर जगता रहा,मथता रहा कुछ सवाल ?
उत्तर नहीं मिल सके,अनगिनित आए खयाल।
दिन की तपिश के बाद थी,लालसा आराम की।
विचारों के छोकों बीच ,लंका लगी विश्राम की।
अनगिनित करवट बदल कर नींद को खोजा बहुत ,
नींद निकली बेवफा,चिंता थी बस परिणाम की,
रात भर उठते विचार-भूकंप के झटके लगे, 
नींद तक आई नहीं और स्वप्न पर अंकुश लगे ।
इस उधेङबुन मे सारी रात काली हो गई ,
सूरज बोला सुप्रभात ,हम स्तब्ध लुटे से और ठगे।
सुन पंकज तू स्वयं को ,कुछ इस तरह से ठाल ,
नींद तेरी लील ना पाए ,कोई उलझन सवाल ।।
पुष्पेन्द्र"पंकज"

©Pushpendra Pankaj
  #Silence विचारों का भूकंप

#Silence विचारों का भूकंप #कविता

1,432 Views