White वह भी क्या दिन थे। सुबह सपनों से शुरू ओर रात ख्वाबों के साथ।। महीनों बाद भंवरे का गुलाब से मिलन होता।। सपना शून्य से अनंत तक का देखा।। निगाहों में हमेशा सपने संजोए। वक्त ने ऐसी करवट ली कि ।।सपने ओश की बूंद बन गए।। भंवरा बगीचा ही भूल गया।। अब न गुलाब याद आता ओर न महक ©lalit suman कभी हमें भी प्यार था