वो कागज़ आज भी कोरा होता स्याह तू गर उसमें शामिल कभी ना होता वो बेजुबां बहुत छटपटाया होगा उसके दामन में जब तेरा दाग लगा होगा करता भी क्या वो शायद तेरा दर्द उसे अपना सा लगा होगा बहुत दर्द हुआ होगा जब तूने उसके दर्द को अपने भीतर सजाया होगा अश्क़ पी पाता कोई ऐसा हमदर्द ना मिला होगा तभी वो तुझ पर बरसा होगा करता भी क्या वो तू श्याम ना होता उसे किसी हद तक मिटा जाता तेरे इस श्याम रंग में वो खुद डूब गया होगा तेरे एहसास समझा होगा तेरे ज़ज्बात पढ़ा होगा तब जाकर उसने कहीं ये तेरा दर्द पिया होगा शायद किसी जन्म का कोई कर्ज रहा होगा तभी तो ये लिख-लिख कर खुद पर गुमान करता तू हर बार इसके गम को सहता रहता। #lost #kagaz #kagazkikalam #kagazkivedna