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अपनी ही गुमशुदगी के इश्तेहार देखता हूँ एक बार नहीं

अपनी ही गुमशुदगी के इश्तेहार देखता हूँ
एक बार नहीं हजार बार देखता हूँ

चल के जो आई है थककर बैठ गई
उसकी आँखों में इंतज़ार देखता हूँ

बड़ी जिद्दी है सुनने को तैयार नहीं
उसकी आँखों में चढ़ा खुमार देखता हूँ

मेरी लम्स भर छूकर गुजरी थी उसे
पूरा शहर उसकी तरफ तैयार देखता हूँ

खड़ी सामने एक बार मुस्कुरा भर दे
मैं उसकी जीत और अपनी हार देखता हूँ..

©YASHVARDHAN #गुमशुदगी 💞
अपनी ही गुमशुदगी के इश्तेहार देखता हूँ
एक बार नहीं हजार बार देखता हूँ

चल के जो आई है थककर बैठ गई
उसकी आँखों में इंतज़ार देखता हूँ

बड़ी जिद्दी है सुनने को तैयार नहीं
उसकी आँखों में चढ़ा खुमार देखता हूँ

मेरी लम्स भर छूकर गुजरी थी उसे
पूरा शहर उसकी तरफ तैयार देखता हूँ

खड़ी सामने एक बार मुस्कुरा भर दे
मैं उसकी जीत और अपनी हार देखता हूँ..

©YASHVARDHAN #गुमशुदगी 💞
yashvardhan6523

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