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माँं क्या बेटी होना कसूर है मेरा, यू जिन्दगी भर दर

माँं क्या बेटी होना कसूर है मेरा, यू जिन्दगी भर दर्द झेलना नासूर है मेरा, क्यों फर्क करते हैं लोग बेटियों को इस जमाने में, क्या मेरे आने से पिता मजबुर है मेरा।

©RAHUL KUSHWAHA
  #बेटियां इस ज़माने की

#बेटियां इस ज़माने की

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