इस कायनात के हर लबो में दुआएँ ढूंढ रहा हूं कुछ उलझी कुछ सुलझी तबस्सुम की फिजायें ढूंढ रहा हूं ऐश ओ आराम जन्नत के यही नजर आ जाते है न जाने ये काफिर माँ बाप को छोड़ ऐश खुदा को ढूंढ रहा हूं