जब देवलोक से सुख की देवी- नर्तन करने पृथ्वी पर आ जाएगी, जब आसमान के सूने मस्तक पर- उल्लासों की लाली सी छा जाएगी! जब ढोलक की थापों की ध्वनि- अपनी मधुरिम तानो तक आ जाएगी, जब होरिहारों की टेर, घरों मे-